लॉयर और एडवोकेट के बीच क्या है अंतर?






लॉयर और एडवोकेट के बीच अंतर

लॉयर और एडवोकेट दो ऐसे शब्द हैं जो कानूनी क्षेत्र में अक्सर एक-दूसरे के पर्यायवाची समझे जाते हैं, लेकिन इनके बीच महत्वपूर्ण अंतर है।

लॉयर एक व्यापक शब्द है जो उन सभी व्यक्तियों को संदर्भित करता है जो कानून की पढ़ाई करते हैं और कानूनी मामलों में सलाह देने के योग्य होते हैं। लॉयर का मतलब यह होता है कि व्यक्ति ने कानून की डिग्री प्राप्त की है और वह कानूनी सलाह, दस्तावेज तैयार करने, और कानूनी विश्लेषण में सक्षम है। वे कानून के विभिन्न पहलुओं में विशेषज्ञ हो सकते हैं, जैसे कि कॉर्पोरेट लॉ, आपराधिक कानून, या सिविल लॉ।

एडवोकेट, दूसरी ओर, एक विशेष प्रकार का लॉयर होता है जो न्यायालय में अपने मुवक्किल की ओर से मामलों की पैरवी करता है। भारत में, एडवोकेट बनने के लिए व्यक्ति को बार काउंसिल में पंजीकरण कराना होता है, जो उसे अदालत में प्रैक्टिस करने का अधिकार देता है। एडवोकेट कानूनी प्रक्रियाओं में अपने मुवक्किल का प्रतिनिधित्व करते हैं और उनके लिए न्यायालय में तर्क प्रस्तुत करते हैं।

सारांश में, हर एडवोकेट एक लॉयर होता है, लेकिन हर लॉयर एक एडवोकेट नहीं होता। लॉयर का कार्य कानूनी सलाह और दस्तावेजों तक सीमित हो सकता है, जबकि एडवोकेट न्यायालय में सक्रिय रूप से अपने मुवक्किल का पक्ष रखते हैं।


लॉयर और एडवोकेट कानूनी क्षेत्र के दो महत्वपूर्ण लेकिन भिन्न पहलू हैं। यद्यपि ये दोनों शब्द अक्सर एक-दूसरे के स्थान पर उपयोग किए जाते हैं, इनके बीच विशेष अंतर है जो उनके कार्य और जिम्मेदारियों को अलग करता है।

लॉयर (वकील) एक ऐसा व्यक्ति होता है जिसने कानून की पढ़ाई की है और कानून में स्नातक (एलएलबी) या उससे उच्च डिग्री प्राप्त की है। लॉयर को कानूनी मामलों में विशेषज्ञता हासिल होती है और वे विभिन्न कानूनी सेवाएँ प्रदान कर सकते हैं, जैसे कि कानूनी सलाह, कॉन्ट्रैक्ट तैयार करना, कानूनी दस्तावेजों की समीक्षा करना, और अन्य कानूनी मसलों पर मार्गदर्शन देना। वे न्यायालय में प्रैक्टिस करने का अधिकार नहीं रखते जब तक कि वे एडवोकेट के रूप में पंजीकृत न हों। लॉयर किसी भी कंपनी, संगठन या व्यक्तिगत रूप से कानूनी सलाहकार के रूप में कार्य कर सकते हैं।

एडवोकेट (अधिवक्ता) एक विशेष प्रकार का लॉयर होता है जो न्यायालय में प्रैक्टिस करने के लिए अधिकृत होता है। भारत में एडवोकेट बनने के लिए, लॉयर को बार काउंसिल में पंजीकरण कराना होता है और एक विशेष परीक्षा उत्तीर्ण करनी होती है। एक बार पंजीकृत होने के बाद, एडवोकेट अदालत में मुवक्किल की ओर से बहस कर सकता है और न्यायालय में अपने मुवक्किल का प्रतिनिधित्व कर सकता है। एडवोकेट विभिन्न कानूनी मामलों में, जैसे कि आपराधिक, सिविल, परिवार, और कॉर्पोरेट मामलों में, अपने मुवक्किल के पक्ष की वकालत करते हैं।


विशिष्ट अंतर:

  • प्रमाणन और प्रैक्टिस का अधिकार: लॉयर के पास कानून की डिग्री होती है लेकिन वे अदालत में प्रैक्टिस नहीं कर सकते जब तक कि वे एडवोकेट के रूप में पंजीकृत न हों। एडवोकेट को बार काउंसिल द्वारा मान्यता प्राप्त होती है और उन्हें न्यायालय में प्रैक्टिस करने का अधिकार होता है।
  • कार्य की प्रकृति: लॉयर का कार्य मुख्यतः कानूनी दस्तावेज तैयार करना, कानूनी सलाह देना, और कानून के सिद्धांतों का अध्ययन करना होता है। वहीं, एडवोकेट का मुख्य कार्य न्यायालय में मुवक्किल का प्रतिनिधित्व करना और उनके पक्ष की वकालत करना होता है।
  • क्षेत्रीय सीमाएँ: एडवोकेट, यदि एक राज्य में पंजीकृत है, तो उस राज्य की न्यायालयों में ही प्रैक्टिस कर सकता है, जबकि लॉयर को क्षेत्रीय सीमाओं की कोई बाध्यता नहीं होती।

सारांश में, लॉयर एक सामान्य कानूनी पेशेवर होता है जो कानूनी मामलों में विशेषज्ञता रखता है, जबकि एडवोकेट एक विशेष कानूनी पेशेवर होता है जो अदालत में कानूनी मामलों की पैरवी करता है। यह अंतर उनके कार्यक्षेत्र, जिम्मेदारियों और न्यायालय में प्रैक्टिस के अधिकार में स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है।

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